छठ पूजा का महत्व और इतिहास !

छठ पूजा का महत्व और इतिहास !

आज हम इस आर्टिकल में जानने वाले हैं ,छठ पर्व की इतिहास के बारे में छठ पर्व क्यों मनाया जाता है ? छठ की पूजा क्यों की जाती है ? छठ पूजा का इतिहास क्या है ? छठ माता किसकी पत्नी है ? छठ माता की कहानी क्या है ? सनातन धर्म का सबसे कठिन व्रत कौन सा है ? छठ पूजा किसका त्यौहार है ? छठी मैया किसकी बहू है छठ पूजा किसने शुरू की थी ? क्या पुरुष छठ पूजा कर सकता है ? छठी माता की सवारी कौन है ? छठी माता किसकी रूप है ?

छठी मैया कौन है ,इस आर्टिकल में हम छठ पूजा का पूरा इतिहास के बारे में जानने वाले हैं।

छठ पूजा सबसे पहले किसने बनाई थी ?

सनातन धर्म में बुरी बात यही है ,पूजा पाठ तो सब करते हैं, लेकिन कुछ आप पूछ लो उनकी तुरंत मुंह बंद हो जाती है। आज इस आर्टिकल में हम जानने वाले हैं छठ पूजा सबसे पहले माता सीता जी ने मनाया था।

छठ पूजा क्यों मनाया जाता है ?

श्री राम भगवान रावण का वध करके अयोध्या से वापस आए थे ,और रामराज की स्थापना करनी थी, तब माता सीता श्री राम दोनों लोगों ने छठी मैया का उपवास रखा था |

छठ पूजा क्यों की जाती है ?

छठ पूजा का पर्व सूर्य देव को धन्यवाद देने और उनके प्रति प्रशंसा प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। लोग इसी दौरान सूर्य देव की बहन छठी माई छठी माई की पूजा उपासना करती है।

छठ पूजा का इतिहास क्या है ?

रामायण के अनुसार: त्रेतायुग में माता-सीता और द्वापर युग में द्रोपती ने भी छठ व्रत रखा था। रामायण की कहानी के अनुसार जब रावण का वध करके राम जी, माता सीता और लक्ष्मण जी के साथ अयोध्या वापस लौटे थे। माता-सीता ने कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को व्रत रखकर सुख शांति के लिए षष्ठी देवी और सूर्य देव की आराधना की थी।

हर छठ का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

हर छठ या फिर हलछठ का त्योहार “जन्माष्टमी” के ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ-साथ बलराम जी की भी पूजा अर्चना की जाती है। छठ का व्रत करने से पुण्य प्रभाव से संतान को लंबी आयु की प्राप्ति होती है।

छठ माता किसकी पत्नी है ?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार षष्ठी देवी को लोक भाषाओं में छठी माता कहा जाता है ,जो ऋषि कश्यप तथा अदिति की मानस पुत्री है। छठी माई को देवसेना के नाम से भी जाना जाता है। छठी माई भगवान “सूर्य देव की बहन” तथा भगवान कार्तिके की पत्नी है।

छठ पूजा किसकी की जाती है ?

छठ पूजा पर लोग भगवान सूर्य देव की पूजा करते हैं, ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्ति होती है | साथ ही छठी माता प्रसन्न होकर जीवन की सभी दुखो को हर लेती है इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर नहाय खाय ,6 खड़ना और 7 को संध्या अर्घ्य है।

सनातन धर्म का सबसे कठिन व्रत कौन सा है ?

दशहरा दिवाली के बाद सबसे कठिन व्रत में से एक छठ पूजा का व्रत रखा जाता है। जिसे सुहागिन महिलाओं सुख और शांति के अलावा संतान की लंबी आयु के लिए रखती है।

छठ पूजा किसका त्यौहार है ?

छठ पूजा सनातन धर्म का त्यौहार है, दिवाली के बाद कार्तिक मास के छठे दिनों से शुरू होती है, या सूर्योदय को समर्पित एक पवित्र पर्व होता है, जिसमें उनकी विशेष आराधना की जाती है। इसी दौरान भक्त अपने प्रिय जनों की समृद्धि खुशी और दीर्घायु की लिए प्रार्थना करते हैं।

छठी मैया किसकी बहू है ?

रामायण के अनुसार छठी मैया भगवान सूर्य देव की बहन और परमपिता ब्रह्मा की मानस पुत्री है, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया को संतान प्राप्ति की देवी कहा जाता है ,यही वजह है, कि बच्चों को जन्म के छठे दिन इनकी पूजा की जाती है।

सबसे पहले छठ पूजा किसने शुरू की थी ?

रामायण में सीता और राम ने वनवास से लौटने के बाद यह अनुष्ठान किया था, छठ पर्व बिहार में सबसे पहले मुंगेर जिला में स्थानीय लोगों का ने किया था।

छठी मैया कितना रूप हैं |इंद्रसूता, षष्टी , पुत्रदायनी,मोक्षदायनी,सुखदायनी, देवसेना, वरदायनी, षष्ठी, बालाधिष्ठात्री, छठी, षष्ठांशरुपाये , रौना माता, मैया और देवी
अस्त्रकमल, चक्र, गदा, अक्षय पात्र, खड्ग, कृपाण, वर मुद्रा और नवजात शिशु (गोदी में बैठा हुआ
युद्धयुद्ध महाभट्ट का वध
धारणलाल, पीला और भगवा
माता-पिताभगवान विष्णु , भगवान इंद्र (पिता)
देवी लक्ष्मी, देवी इंद्राणी (माता)
भाई-बहनजयंत, जयंती, ऋषभ , मिधुषा
संतानसम्पूर्ण विश्व
सवारीबिल्ली
त्यौहारछठ पूजा

सूर्य और छठी मैया के बीच क्या संबंध है ?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से घर में सुख समृद्धि और शांति बनी रहती है। छठी मैया की संतानों सुख का वरदान देता है,मान्यताओं के अनुसार छठी मैया सूर्य देव की बहन है, छठी मैया की सृष्टि की रचयिता या प्राकृतिक की देवी मानी जाती है |

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छठ व्रत में खरना का नियम ?

खीर बनाने के लिए पीतल के बर्तन का उपयोग किया जाता है, इसके साथ ही प्रसाद की शुद्धता से बनाने होती हैं करना के दिन रसिया का भात या गुड़ की खीर या गुड़ वर्त इंसान ही बनता है ।

खरना के दिन रात्रि 12:00 बजे छठी मैया का भोग लगाकर व्रती प्रसाद खाती हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि किसी भी जीव जंतु के आवाज व्रती के कानों तक नहीं सुनाई देना चाहिए तब ही व्रती प्रसाद ग्रहण करेंगी अन्यथा प्रसाद नहीं ग्रहण करती है।|अगर जो प्रसाद रात में बच जाए उसे सुबह व्रती अपने बच्चों को प्रसाद खिलाकर तब खाना बनाती है।

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